कृपया मुझे क्षमा करें, मैंने अब तक पोस्ट किए गए टेक्स्ट को बिना टिप्पणी के यहां फोरम में रखा है। इसका कारण यह है कि-यदि यहां फोरम में कई गुना अधिक चल रहा है-फोरम की शुरुआत में ग्रंथ सभी बंडल बने रहते हैं, ताकि बाद में उन्हें और आसानी से मिल सके।
इसलिए यदि आप किसी पाठ पर टिप्पणी करना चाहते हैं, तो बस एक नया सूत्र लिखें और संबंधित पाठ को देखें। मैं तब आपके द्वारा खोले गए सूत्र में आपको उत्तर दूंगा।
सादर, मुझे आपके शब्दों की प्रतीक्षा रहेगी!
ब्राह्मण
